जमाई के साथ (ससुराल में)
2000 से पहले और उसके बाद किये जाने वाले व्यवहार के बारे में:

1. पहले के जमाई के जब आने का पता चलता तो ससुर जी दाढ़ी बनाकर और नए कपङे पहनकर स्वागत के लिए कम्पलीट रहते थे...

2. जमाई आ जाते तो बहुत मान मनवार मिलती और छोरी दौड़कर रसोई में घुस जाती थी ।सासुजी पानी पिलातीं और धीरे से कहती: “आग्या कांई ?”

3. आने का समाचार मिलते ही गली मोहल्ले के लोग चाय के लिए बुलाते थे,
और काकी सासुजी या भाभियां तो आटे का हलवा भी बनाती थी...

4. जमाई खुद को ऐसा महसूस करता था कि वो पूरे गांव का जमाई है...

5. जमाई के घर में आने के बाद घर के सब लोग डिसिप्लिन में आ जाते थे...

6. जमाई बाथरूम से निकलते तो उनके हाथ सन्तूर साबुन से धुलवाते, भले खुद उजाला साबुन से नहाते थे...

7. जमाई अगर रात में रुक जाते तो सुबह उनका साला पेस्ट और ब्रश हाथ में लेकर आस पास घूमता रहता था...

8. जब जमाई का अपनी बीवी को लेकर जाने का समय हो जाता तो वो स्कूटर को पहले गैर में डालकर भन्ना भोट निकालते थे, जिससे उनका ससुराल में प्रभाव बना रहता था...

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अब आज के जमाई की दुर्दशा:

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1. आज के जमाई से कोई भी लुगाई लाज नहीं करती है, खुद की बीवी भी सलवार कुर्ते में आस पास घूमती रहती है...
काकी सासुजी और भाभी कोई दूसरी रिश्तेदारी निकाल कर बोलती हैं: ” अपने तो जमाई वाला रिश्ता है ही नहीं...”

2. साला अगर कुंवारा है और अगर उसकी सगाई नहीं हो पा रही है तो इसका ताना जमाई को सुनाया जाएगा: “तुम्हारा हो गया इसका भी तो कुछ सेट करो...”

3. पानी पीना हो तो खुद रसोई में जाना पड़ेगा, कोई लाकर देने वाला नहीं है...

4. ससुराल पक्ष की किसी शादी में जमाई को इसीलिए ज्यादा मनवार करके बुलाया जाता है ताकि जमाई बच्चों को संभाल सके, बीवी और सासुजी आराम से महिला संगीत में डांस कर सके...

5. जरा सा अगर बीवी को ससुराल में कुछ कह दिया तो सासुजी की तरफ से तुरंत जवाब आता हैं ” एक से एक रिश्ते आऐ थे, पर ये ही मिला था छोरी को दुखी करने के लिए, इसके पापा को …नाशपिटा...”